Monday, August 8, 2011

Fathepur Sikri(Hindi)


फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी (उर्दू: فتحپور سیکری, एक नगर है जो कि आगरा जिला का एक नगरपालिका बोर्ड है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है, यह यहाँ के मुगल साम्राज्य में अकबर के राज्य में 1571 से 1585 तक, फिर इसे खाली कर दिया गया, शायद पानी की कमी के कारण फतेहपुर सीकरी हिंदू और मुस्लिम वास्तुशिल् के मिश्रण सबसे अच्छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्तुशिल् से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार ५४ मीटर ऊँचा बुलंद दरवाजा है जिसका निर्माण १५७० ई० में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है जहाँ नि:संतान महिलाएँ दुआ मांगने आती हैं।
आंख मिचौली, दीवान--खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्मारक हैं।

इतिहास

मुगल बादशाह बाबर ने राणा सांगा सीकरी नमक स्थान पर हराया था, जो कि वर्तमान आगरा से ४० कि०मि० है फिर अकबर ने इसे मुख्यालय बनाने हेतु यहाँ किला बनवाया, परंतु पानी की कमी के कारण राजधानी को आगरा का किला में स्थानांतरित करना पडा़ आगरा से ३७ किमी. दूर फतेहपुर सीकरी का निर्माण महान मुगल सम्राट अकबर कराया था। एक सफल राजा होने के साथ-साथ वह कलाप्रेमी भी था। १५७०-१५८५ तक फतेहपुर सीकरी मुगल साम्राज् की राजधानी भी रहा। इस शहर का निर्माण अकबर ने स्वयं अपनी निगरानी में करवाया था। अकबर नि:संतान था। संतान प्राप्ति के सभी उपाय असफल होने पर उसने सूफी संत सलीम चिश्ती से प्रार्थना की। इसके बाद पुत्र जन् से खुश और उत्साहित अकबर ने यहाँ अपनी राजधानी बनाने का निश्चय किया। लेकिन यहाँ पानी की बहुत कमी थी इसलिए केवल १५ साल बाद ही राजधानी को पुन: आगरा ले जाना पड़ा।

मुगल वास्तुकला

मुगल वास्तुकला, जो कि भारतीय, इस्लामी एवं फारसी वास्तुकला का मिश्रण है, एक विशेष शैली, जो कि मुगल साम्राज्य ने भारत में 16वीं एवं 17वीं सदी में जन्म लिया।

आरंभिक मुगल वास्तुकल

मुगल वंश आरंभ हुआ बादशाह बाबर से 1526 में। बाबर ने पानीपत में एक मस्जिद बनवाई, इब्राहिम लोधी पर अपनी विजय के स्मारक रूप में। एक दूसरी मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं, अयोध्या में बनवाई, जो कि हिंदुओं के भगवान राम के जन्मस्थल पर थी, जिसे 1992 में हिंदु कट्टरवादियों द्वारा तोड़ दिया गया। एक तीसरी मस्जिद उसने सम्भल, मुरादाबाद जिले में बनवाई।
कुछ प्राथमिक एवं अति विशिष्ट लक्षणिक उदाहरण, जो कि आरम्भिक मुगल वास्तु कला के शेष हैं, (1540–1545) के सम्राट शेरशाह सूरी के छोटे शासन काल के हैं; जो कि मुगल नहीं था। इनमें एक मस्जिद, किला कुन्हा (1541) दिल्ली के पास, लाल किला का सामरिक वास्तु दिल्ली में, एवं रोहतास किला, झेलम के किनारे, आज के पाकिसतान में। उसका मकबरा, जो कि अष्टकोणीय है, एक सरोवर के बीच आधार पर बना है, सासाराम में है, जिसे उसके पुत्र एवं उत्तराधिकारी इस्लाम शाह सूरी (1545-1553). द्वारा बनवाया गया।

अकबर

दशाह अकबर (1556-1605) ने बहुत निर्माण करवाया, एवं उसके काल में इस शैली ने खूब विकास किया। गुजरात एवं अन्य शैलियों में, मिस्लिम एवं हिंदु लक्षण, उसके निर्माण में दिखाई देते हैं। अकबर ने फतेहपुर सीकरी का शाही नगर 1500 में बसाया, जो कि आगरा से 26 मील (42 कि मी) पश्चिम में है। फतेहपुर सीकरी का अत्यधिक निर्माण , उसकी कार्य शैली को सर्वाधिक दर्शाता है। वहाँ की वृहत मस्जिद, उसकी कार्य शैली को सर्वोत्तम दर्शाती है, जिसका कि कोई दूसरा जोड़ मिलना मुश्किल है। यहाँ का दक्षिण द्वार, अति रसिद्ध है, एवं इसका कोई जोड़ पूरे भारत में नहीं है। यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा कहते हैं। मुगलों ने प्रभाचशाली मकबरे बनवाए, जिनमें अकबर के पिता हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली में, एवं अकबर का मकबरा, सिकंदरा, आगरा के पास स्थित है। यह दोनों ही अपने आप में बेजोड़ हैं।

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